Sunday, 25 October 2015

Vijaya Dashami : Dharm ki Adharm Pe Jeet




सुनो सुनो एक गाथा अहंकार के विनाश की ,
है ये कहानी एक राजा रानी के अभिमान की। 

एक था राजा रावण ,तीनो लोको में विख्यात बड़ा ,
महाज्ञानी-महापंडित-महाभिमानी महायोद्धा ,
ऐसा था उसका नाम बड़ा। 
सोने की थी उसकी लंका,ऐसा था सम्राज्य बड़ा। 
अहंकार था बहुत उसके अंदर ,
इसलिए वो समझता था खुद तो ईश्वर।
ऐसा था वो महाराजा रावण। 

आगे की कहानी में है मेरे मर्यादा पुरुषोत्तम राजा राम। 

सूर्य के तेज से सुसज्जित-महापराक्रमी -मर्यादा पुरुषोत्तम ,
महाज्ञानी -धर्म रक्षक-कौशल्या के नंदन थे प्रभु राजा राम। 
पिता के वचन की रक्षा को चौदह वर्ष का वनवास भी स्वीकार किया ,
ऐसे थे प्रभु राजा राम। 
लखन सिया संग चौदह वरस वन-वन भटके वो थे धर्म संस्थापक राजा राम। 

कुदृष्टि डाली दुराचारी रावण ने माता सीता के सम्मान पर,
और किया छल से हरण उनका अपने शक्ति के गुमान पर। 

ना थे घोड़े,ना थे हाथी,ना कोई तलवार संग,
तीर धनुष और बानरो की सेना के बल पर किया कूंच प्रभु राम ने। 

तोड़ दिया मनोबल रावण का.और मार गिराया दशानन को युद्ध के मैदान में। 
अंत समय जब छटा अँधेरा,अंहंकार का-प्रतिशोध का। 
दस शीषो के स्वामी ने नमन किया श्री राम का,
क्षमा मांगी अपने अनन्य पाप को ,
बोला सीता मैया है क्षमा करे उसके अपराध को। 

हुयी विजय धर्म की अधर्म पे ,और सब ने पूजा,
सिया संग राम लखन हनुमान को। 

-: जय श्री राम :-

Tuesday, 13 October 2015

Happy Navratri : Jai Mata Di




ओ माता मेरी माता,है तुझसे दिल का नाता ,
ओ माता मेरी माता,है तुझसे जन्मो का नाता।

शेरो वाली माता,मेहरो वाली माता। 

तू है माँ जग जननी,ममतामयी माँ दुःख हरनी। 
रूप है तेरा माँ मनमोहक,देख-देख ये दिल मुस्काता। 

ओ माता मेरी माता ,है तुझसे जन्मो का नाता।

आयी हूँ दूर से तेरे दर्शन को माता ,
अँखियाँ  मेरी व्याकुल-व्याकुल,तेरे दर्शन को माता। 

तेरे दर्शन को माता। 

ओ नाता वाली माता-जग जननी। 
शेरो वाली माता -जग जननी। 
पहाड़ो वाली माता-जग जननी। 

जग जननी ओ माता जग जननी। 

ओ माता मेरी माता ,है तुझसे दिल का नाता ,
ओ माता मेरी माता ,है तुझसे जन्मो का नाता।

शीश झुका के खड़ी हूँ मै तेरे दर पे माता ,
वंदन करू मै तेरा ओ माता मेरी माता। 

मुझे शक्ति दे-जय माता। 
मुझे भक्ति दे-जय माता। 
कल्याणी तू -जय माता। 
सुखकरणी  तू-जय माता। 

ओ माता मेरी माता ,है तुझसे दिल का नाता ,
ओ माता मेरी माता ,है तुझसे जन्मो का नाता।











Thursday, 8 October 2015

The Beauty of Nature : Himalay




हिम का आलय -हिमालय,कितना विशाल है -हिमालय। 
मन को लुभाए -हिमालय ,संग-संग गाए -हिमालय। 

दृढ़  बड़ा  है-हिमालय,शीतल भी है-हिमालय। 
ऊँचे पर्वत -हिमालय,गहरी खाई -हिमालय। 

एक रहस्य है -हिमालय,जीवन वर्धक -हिमालय।  
दिल को लुभाए -हिमालय,प्यार जगाए -हिमालय। 

है वन उपवन -हिमालय,नदियों की धारा -हिमालय। 
वीरो का मान -हिमालय,भारत की शान -हिमालय।

संस्कृति रक्षक -हिमालय,दिव्य है ये-हिमालय। 
देवो की भूमि -हिमालय ,है स्वर्ग से सुन्दर -हिमालय।