Sunday, 19 June 2016

The Superhero of every Child :Papa



नन्ही नन्ही उँगलीयो को थाम के जो चलना सिखाए _वो है पापा।
तकदीर से जो हर हाल मे लड़ना सिखाए_वो है पापा।

बच्चो की खुशियों के लिए जो झूठ कह जाए _वो है पापा।
खुद की तकलीफो को भूल के जो बच्चो के बारे मे सोचे _वो है पापा।

बिन मांगे जो हर ख्वाहिश को पूरी कर दे _वो है पापा।
हर पल जो खुद से पहले बच्चो के बारे मे सोचे _वो है पापा।

जिसके साथ होने से परिवार खुद को महफूज पाए _वो है पापा।
जो परिवार को एक बंधन मे बांध के रखे_वो है पापा।

जो अपने बच्चो से बहुत प्यार करे और सामने से उनको बता ना पाए _वो है पापा।
जो बच्चो की तरक्की पे अपनी शान दिखाए_वो है पापा।

बच्चो के साथ बच्चा बन जाए और कभी कभी डांट भी लगाए_वो है पापा।
गलत राह से हमको हर पल बचाए _वो है पापा।

हमारे सपनो को जो असली पहचान दिलाए_वो है पापा।
जो हमे खुद पे यकीन करना सिखाए _वो है पापा।
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माँ-पापा के सम्मान करने से बड़ा दुनियां मे कोई मान नहीं,
इनके होठो पे मुस्कान बनाए रखने से बड़ा दुनियां मे कोई काम नहीं।

Lots of love Papa






Sunday, 5 June 2016

Save Girl Child




बेटी हूँ मैं कोई बोझ नहीं _सम्मान हूँ मैं कोई रोष नहीं,
है मेरी भी धड़कन अपनी _रब ने दिए है मुझे भी अधिकार सभी। 

ना देखो मुझको ऐसे तुम_ इंसान हूँ मैं इंसा जैसी,
क्यों बांधे है बन्धन इतने _कोई बंदी नहीं, मैं हूँ बेटी। 

जाने क्यों मुझसे सब रूठे है _जाने क्यों मेरे जन्म से यूँ रूठे है,
नहीं समझ पा रही हूँ मैं इस मुश्किल को_ कि क्यों मेरी साँसों में यूँ बन्दिशें है। 

क्यों दुनिया में आना मेरा अधिकार नही,
क्यों ज़िन्दगी को गले लगाना मेरा अधिकार नहीं। 

आखिर है क्या खता मेरी_कोई तो सुलझा दे ये मुश्किल मेरी। 

बेटे की चाह गलत नहीं पर बेटी को जन्म से पहले ही  मारना भी तो सही नहीं,
माना बेटे कुल दीपक है पर बेटी भी कुल गौरव से कम तो नहीं। 

ख़त्म करो इस बुराई को _इंसानियत को ना ख़त्म करो ,
समाज की  कुप्रथाओ के कारण  _ बेटी का  ना_अंत करो। 

बेटी हूँ मैं कोई बोझ नहीं _सम्मान हूँ मैं कोई रोष नहीं। 
है मेरी भी धड़कन अपनी _रब ने दिए है मुझे भी अधिकार सभी। 

Save Girl Child