Sunday, 5 March 2017

Zindagi :Kuch Kahi Unkahi Baate





कुछ खटी-मीठी यादों से _कुछ कही अनकही बातों से ,
खुशियों के हर लम्हे से और खामोशियों के हर अहसासों  से। 

कुछ सीखा है मैंने इन बातों से_कुछ सीखा है मैंने अपने हर हालातो से। 

कुछ गीत है जो मैं गुनगुनाती हूँ _कुछ साज है जो मैं भूल जाना चाहती हूँ। 
कुछ लम्हे थे जिसमें मैं जीती हूँ _कुछ लम्हे में हारी भी हूँ। 

कुछ सीखा है मैंने इन बातों से_कुछ सीखा है मैंने अपने हर हालातो से। 

कुछ लम्हे है बीती यादो के _जो हर  पल साथ निभाते है। 
कुछ लम्हे है बीतीं यादों के _जो दिल में एक उदासी सी ला  जाते है। 

कुछ सीखा है मैंने इन बातों से_कुछ सीखा है मैंने अपने हर हालातो से। 

कुछ अपने मिले जो बेगाने है_कुछ बेगाने भी अब जाने पहचाने है। 
दिल चाहता है सब अच्छा हो _दिल चाहता है सब सच्चा हो। 

प्यार भरी  ज़िंदगानी हो _सपनो की दुनिया से भी प्यारी अपनी कहानी हो। 

कुछ सीखा है मैंने इन बातों से_कुछ सीखा है मैंने अपने हर हालातो से।