कही किसी किताब में ना पढ़ी मैंने आँसुओ की परिभाषा,
जाने किसने सिखायी दिल को आँसुओ की भाषा।
कोई परेशानी हो या खुशियों की बहार_आँखों से छलक ही जाती है इन आँसुओ की धार।
मन की सच्चाई का दर्पण होते है आँसु_बिना किसी कपट के छन भर में ही दिल की बात बता देते है ये आँसु।
जुबान जब खामोश होती है तब भी आँखों से मन की बात बता देते है ये आँसु।
कभी कभी हस्ते-हस्ते रुला देते है आँसु और कभी कभी रोते-रोते हँसा देते है आँसु।
आँसुओ की कहानी है बड़ी अनजानी_आज तक समझ नहीं आयी किसी को इसकी दास्तान पुरानी।
सब कहते है कि पल-पल में रोना अच्छी बात नहीं,
हर किसी को अपनी ख़ामोशी का राज बताना अच्छी बात नहीं।
बहुत मुश्किल है दिल को अपने दर्पण सा बनाना,
बहुत मुश्किल है किसी को समझाना कि आखिर किसी बात पे क्यों बन जाता है यूँ आँसुओ का फसाना।
जीवन में बहुत ही खास होते है वो लोग _जो समझते है आपके आँसुओ का मोल।
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