Friday, 15 July 2016

Barish



बादलो ने की है आज थोड़ी सी शरारत_हवाओ से कर ली है थोड़ी सी मुहब्बत।
अब हवाओ का रूख कुछ बदला-बदला सा है_अंदाज ए इश्क कुछ जुदा-जुदा सा है।

प्यार को परवान देने के लिए घटाए घनघोर भी अब छाने लगी है_चंचल इन हवाओ को अब बहलाने लगी है।

रिमझिम- रिमझिम बारिश की बूँदो से  अब समा बंध गया है प्यारा- प्यारा  और झूम के नाच उठा है दिल सबका जैसे कोई गीत सुना हो न्यारा - न्यारा।

मिट्टी की सौंधी खुशबु भी अपना जादू चला रही है_प्यार के रंग मे सबको डूबा रही है।
हर ओर हरियाली छा गयी है और सबके होठो पे मुस्कान भी आ गयी है।

बारिश की ये झिलमिल- झिलमिल बूंदे -प्यार धरती पे बरसा रही है_मुहब्बत दिलो मे जगा रही है और नफरत को मिटा रही है।

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