खुद की गहराइयो को समझने के लिए जहाँ से दूरी जरूरी है।
सच की राह देखने के लिए,
कभी -कभी आँखो को झुका के अँधेरा करना जरुरी है।
दुनियाँ के इस शोर में कही खो रहे है हम अपनी पहचान।
खुद को ढूंढने के लिए गुमनामी कि एक रात जरुरी है।
दूसरो के बताए राह पे तो सब चलते है ,
पर उस भीड़ से हटकर अपनी एक तलाश जरुरी है।
जिस मोड़ पे हम पा लेंगे सब कुछ ,
उस मोड़ पे भी खुद की एक पहचान जरुरी है।
किसी और की खुशियों में खुश होना,
दुसरो के लिए जीना ,है एक समर्पण भावना।
उस भाव में भी खुद को पा लेना जरुरी है।
जीवन-मरण नहीं है खुद के वश में।
मर के भी वो लोग जिंदा रखते है अपना नाम,
जो खुद में ही पा लेते है अपनी सच्ची पहचान।
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